
आज एक ओर Pitru Paksha के अंतर्गत अष्टमी श्राद्ध है, वहीं दूसरी ओर Santanvathi महिलाओं द्वारा किया जाने वाला Jitiya Vrat भी इसी दिन पड़ रहा है। इन दोनों अवसरों का योग, पितरों की कृपा और संतान की भलाई दोनों के लिए शुभ संकेत लेकर आता है।
शुभ मुहूर्त्स: कब करें श्राद्ध और व्रत की पूजा?
इस दिन तीन मुख्य मुहूर्त बताए गए हैं, जिनमें श्राद्ध कर्म करना शुभ माना जाता है:
कुतुप मुहूर्त: दोपहर 12:10 PM से 1:00 PM
रौहिणी मुहूर्त: 1:00 PM से 1:49 PM
अपराह्न काल: 1:49 PM से 4:16 PM
इनमें से कोई भी समय चुनकर श्राद्ध तर्पण, भोजन दान और पितृ पूजन किया जा सकता है। साथ ही जितिया व्रत करने वाली महिलाएं भी संकल्प लेकर व्रत का आरंभ कर सकती हैं।
अष्टमी श्राद्ध: पूर्वजों के प्रति श्रद्धा का दिन
अष्टमी तिथि पर जिन परिजनों की मृत्यु हुई हो, उनका श्राद्ध आज किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन विधिपूर्वक श्राद्ध करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और उनका आशीर्वाद वंश वृद्धि और सुख-शांति प्रदान करता है।
जितिया व्रत: संतान की लंबी उम्र के लिए माताओं का तप
जितिया व्रत, विशेष रूप से बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल में किया जाता है। इस व्रत को संतानवती महिलाएं करती हैं और बिना जल अन्न ग्रहण किए उपवास रखती हैं। यह व्रत जीवितपुत्रिका व्रत के नाम से भी जाना जाता है।
कहते हैं, जो महिलाएं पूरे नियमों से इस व्रत को करती हैं, उनकी संतान को कभी अकाल मृत्यु या गंभीर रोग नहीं सताते।
सूर्योदय से चंद्रोदय तक: समय पर एक नजर
सूर्योदय: सुबह 6:26 बजे
सूर्यास्त: शाम 6:44 बजे
चंद्रास्त: दोपहर 1:14 बजे
चंद्रोदय: रात 11:54 बजे
व्रत और पूजन के लिए सूर्योदय के बाद और चंद्रमा के दर्शन तक का समय विशेष महत्व रखता है।
नक्षत्र, योग और करण की स्थिति
नक्षत्र:
सुबह 8:41 बजे तक रौहिणी, फिर मृगशीर्ष
योग:
सुबह 7:35 तक वज्र योग, फिर सिद्धि योग
करण:
4:02 PM तक बालव, फिर कौलव
सिद्धि योग पूरे दिन को शुभ बनाता है, विशेषकर धार्मिक कार्यों के लिए।

दिशा शूल और यात्रा संकेत
आज पश्चिम दिशा में यात्रा से परहेज़ करें, क्योंकि दिशा शूल उसी ओर है। अगर आवश्यक हो तो तिल या अदरक खाकर यात्रा करें, इससे दोष कम होता है।
ग्रह गोचर और ज्योतिषीय प्रभाव
मंगल तुला राशि में
चंद्रमा वृषभ से मिथुन में
शुक्र कर्क राशि में
राहु कुंभ में
गुरु मिथुन में
शनि मीन में
सूर्य, बुध और राहु की युति सिंह राशि में
इस ग्रह स्थिति में वाणी पर संयम और मानसिक स्थिरता बनाए रखना आवश्यक है। जितिया व्रत करने वाली महिलाओं को ध्यान और मंत्र जाप पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
क्या करें और क्या न करें आज?
करें:
पितरों का स्मरण, तर्पण, दान
व्रत का संकल्प, पूजा, मंत्र जाप
जरूरतमंदों को भोजन कराना
न करें:
पश्चिम दिशा में यात्रा
मांस-मदिरा या नकारात्मक सोच
पितृ तिथि पर विवाद या कलह
पुण्य, प्रतीक्षा और परंपरा का संगम
14 सितंबर 2025 एक ऐसा दिन है जब पितरों की आत्मा को श्रद्धा मिलती है, और साथ ही माताएं संतान के लिए शक्ति और आशीर्वाद मांगती हैं। जितिया व्रत और अष्टमी श्राद्ध का यह संगम, न केवल धार्मिक आस्था को दर्शाता है बल्कि परिवार की बुनियाद को भी मजबूत करता है।
“जब संतान और पूर्वज दोनों को एक साथ पूजने का अवसर मिले — वह दिन वास्तव में धर्म, कर्तव्य और आस्था का पर्व बन जाता है।”
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